लेखनी प्रतियोगिता -24-Dec-2021 आपका प्रकृति से खिलवाड़
मानव का प्रकृति से खिलवाड़
🌹🌹🌹 ॐ 🌹🌹🌹
कैसी ये हवा चली है,औऱ मचा है हाहाकार ,
जहर हवा में फैल रहा है ,हर एक व्यक्ति है लाचार
सोचती हूं कौन करेगा,इस जगत का कल्याण ,
पाप पुण्य पे भारी है, सब देख रहे है भगवान ,
कुछ तो उसने सोचा होगा,होकर हम सबसे नाराज ,
खुदा बन रहा था हर व्यक्ति,फैला रहा था भ्रष्टाचार ,
संभल जा तू बंदे ना कर प्रकृति से खिलवाड़ ,
पाप का दोषी है हर व्यक्ति ,संकट में है सारा संसार ,
देवताओं की पावन धरा पर ,जन्मे राम कृष्ण अवतार
माँ दुर्गा की पावन धरा पर--कन्या पूजी जाती देवी समान।
फिर भी हे मानव तूने,किया कन्या का अपमान,
अपनी गंदी नियत से ,आखिर क्यों बनता है तू अनजान,
माँ गंगा ना छोड़ी तूने ,मैला किया नरक समान।
मांस मदिरा पीकर घट रहा मानव जाति का मान।
अपने कर्मों से क्यों राक्षस रूप धारण कर रहा
विनाश काले विपरीत बुद्धि धारण क्यों कर रहा
प्राकृतिक प्रकोप के कारण जगत संकट से लड़ रहा
स्वर्ग सी पावन धरा को, किया तूने नरक समान।
कुदरत के इस उपहार का तू--- करता रहा घोर अपमान,
कभी धर्म के नाम पर जीवो का संघार किया,
कभी आहार समझ तूने,पशुओं पर अत्याचार किया,
कुदरत ने प्रकृति के रूप में,दिया हमे सूंदर वरदान,
कुदरत के उपकार से, नहीं कोई जग में अनजान,
तेरे इन कुकर्मों से भगवान भी है हैरान
वो भी हैरान है ,परेशान हैं ,बना के इंसान।
आओ सिंह पर सवार माँ आदिशक्ति ,आवाहन करे।
कल्याण करे, कल्याण करे ,माँ अब तो कल्याण करे।
गलती हो गई हम सब से, माँ हम को माफ करे,
पाप बढ़ रहा पृथ्वी पर ,हर पापी का सर्वनाश करे,
हे जीवनदायिनी जगदंबे, हर जन का कल्याण करो,
पंचतत्व से निर्मित, मानव का कल्याण करो,
संगीता वर्मा✍️✍️
Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI
25-Dec-2021 12:59 PM
Wah
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Ravi Goyal
25-Dec-2021 11:42 AM
वाह बेहतरीन रचना👌👌
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Shrishti pandey
25-Dec-2021 09:04 AM
Very beautiful
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